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Showing posts from February, 2020

प्रशाशन सरकार मस्त और आम आदमी पस्त।'आम आदमी का रास्ता बंद कर करते है मनमानी यही है हमारे अच्छे दिन'

प्रशाशन सरकार मस्त और आम आदमी पस्त। 'आम आदमी का रास्ता बंद कर करते है मनमानी यही है हमारे अच्छे दिन' अनूप ओझा बस्ती उत्तर प्रदेश। आये दिन सड़को को कभी कोई नेता तो कभी कोई अधिकारी के चक्कर मे प्रशाशन बंद किये रहती है जिसके कारण आम आदमी को  काफी दिक्कतें उठानी पड़ती है और यह तक की जिस रास्ते के अगल बगल किसी का घर या ऑफिस होता है उसे भी ये लोग नेता मंत्री लोग के चक्कर मे जाने नही देते और कहते है कल जाना।  ये लोग तो बस दिखावे में मस्त रहते है और कोई विकास का कार्य का दिखावा नही करेंगे। सड़को का टैक्स भरे आम आदमी और मजा ले ये लोग यही है हमारे चुने हुए अच्छे नेता। और यहाँ तक कि जब आम आदमी सड़क पर चलता है तो पुलिस की सुरक्षा गायब रहती है कही कोई दुर्घटना घट जाए तो भी पुलिस प्रशासन नही पहुचती है लेकिन कोई नेता अधिकारी को आना होता है तो एक ही सड़क पे पचहत्तर पुलिस वाले आ जाते है ये है हमारी पुलिस। और आम आदमी से दुर्व्यवहार भी करते है। उच्च अधिकारी कहते है पुलिस और आम आदमी के बीच व्यवहार सुधरा है लेकिन सच कुछ और दिखाई देता है। सरकार और पुलिस प्रशासन को इसपर जागरूक होने की जरूरत है और ये भी ध...

हर हर महादेव

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महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं।

शिव की बनी रहे आप पर छायापलट दे जो आपकी किस्मत की कायामिले आपको वो सब अपनी ज़िन्दगी मेंजो कभी किसी ने भी न पायाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें

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शिव की बनी रहे आप पर छाया पलट दे जो आपकी किस्मत की काया मिले आपको वो सब अपनी ज़िन्दगी में जो कभी किसी ने भी न पाया शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें

उस दिन की पूरी कहानी, जब हुई थी पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की मौत 11 फरवरी 1968।

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उस दिन की पूरी कहानी, जब हुई थी पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की मौत 11 फरवरी 1968। संसद का साल 1968 का बजट सत्र शुरू होने वाला था. 12 फरवरी 1968 को भारतीय जनसंघ संसदीय दल की बैठक नई दिल्ली में आयोजित हुई थी. लेकिन इसी दौरान पटना में बिहार प्रदेश भारतीय जनसंघ की कार्यकारिणी की बैठक भी होने वाली थी. बिहार प्रदेश के जनसंघ के तत्कालीन संगठन मंत्री अश्विनी कुमार की इच्छा थी कि इस बैठक में जनसंघ अध्यक्ष पंडित दीनदयाल भी शामिल हों. इसलिए 10 फरवरी को सुबह 8 बजे उन्होंने दीनदयाल से फोन पर बैठक में आने का आग्रह किया. लखनऊ में ही थे दीनदयाल उपाध्याय अमरजीत सिंह की किताब 'एकांत मानववाद के प्रणेता पंडित दीन दयाल उपाध्याय' के अनुसार, उन दिनों दीनदयाल उपाध्याय लखनऊ में अपनी मुंहबोली बहन लता खन्ना के घर पर ठहरे हुए थे. उन्होंने अश्विनी कुमार की बात यह कहते हुए स्वीकार कर ली कि अगर दिल्ली संसदीय महामंत्री सुंदर सिंह भंडारी ने बैठक में सम्मिलित होने के लिए उनसे आग्रह नहीं किया तो वे पटना अवश्य आएंगे और उन्होंने स्वीकृति दे दी. 26 रुपये और एक टिकट, दीनदयाल उपाध्याय के शव के पास मिले थे य...