इलाज के अभाव में सात माह के बच्चे की मौत,कोरोना के बढ़ते प्रकोप का असर सामान्य रोगियों के इलाज पर दिखने लगा
इलाज के अभाव में सात माह के बच्चे की मौत,कोरोना के बढ़ते प्रकोप का असर सामान्य रोगियों के इलाज पर दिखने लगा
आगरा. उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में कोरोना वायरस के 425 पॉजिटिव केस मिल चुके हैं। इसका खामियाजा सामान्य रोगियों को भुगतना पड़ रहा है। बुधवार को इलाज के अभाव में सात माह के बच्चे की मौत हो गई। जिला अस्पताल व दो प्राइवेट अस्पतालों के चक्कर लगा चुके परिजन जब एसएन मेडिकल कॉलेज पहुंचे तो कागजी कार्रवाई में हुई देरी बच्चे के जिंदगी पर भारी पड़ी। जब डॉक्टरों ने बच्चे की नब्ज टटोली तो वह जिंदगी की जंग हार चुका था। मृतका की मां का रो-रोकर बुरा हाल है। परिवारीजनों ने स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है।
थाना रकाबगंज क्षेत्र के छीपीटोला तेलीपाड़ा निवासी सबा का बेटा हमजा गौरी (07 माह) के नाक से सुबह करीब दस बजे खून आ रहा था। जब परिजनों की नजर उस पर पड़ी तो जिला अस्पताल लेकर भागे। परिजन इरफान गौरी ने बताया कि, जिला अस्पताल में कोरोनों के मरीजों के आने की बात कहकर एसएन मेडिकल कॉलेज जाने के लिए कह दिया गया। लेकिन वहां जाने से पहले डॉक्टर एससी अग्रवाल व खेरिया मोड़ स्थित डॉक्टर कोहली के यहां बच्चे को लेकर पहुंचे।
लेकिन ये दोनों क्लीनिक लॉकडाउन के चलते बंद थी। यहां से निकलकर एसएन मेडिकल कॉलेज पहुंचे तो गार्ड ने पहले पर्चा बनवाने की बात कही। जिसको लेकर विवाद भी हुआ कि, पहले इलाज शुरू हो जाए, बच्चे की हालत नाजुक है। लेकिन पर्चा बनवाने के बाद ही इलाज शुरू हुआ। इस बीच 15 मिनट निकल गए। लेकिन तब तक बच्चे की मौत हो चुकी थी। परिवार के लोग उसकी मौत के लिए प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। परिजनों का कहना है कि समय रहते अगर बच्चे को इलाज मिल जाता तो उसकी जान बचाई जा सकती थी।