तेलंगाना से झारखंड, लॉकडाउन के बाद पहली स्पेशल ट्रेन मजदूरों के लिए चली।

तेलंगाना से झारखंड, लॉकडाउन के बाद पहली स्पेशल ट्रेन मजदूरों के लिए चली।

केंद्र सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद 37 दिनों से देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे मजदूरों, छात्रों और अन्य लोगों को वापस लाने की प्रक्रिया राज्य सरकारों ने शुरू कर दी है. राज्य सरकार की मांग पर रेल मंत्रालय ने पहली स्पेशल ट्रेन चलाई है, जो शुक्रवार की सुबह तेलंगाना के लिंगमपेल्ली में फंसे मजदूरों को लेकर झारखंड के लिए रवाना हुई है.

इस ट्रेन के चलने के बाद प्रवासी मजदूरों में उनके घर पहुंचने की आस जगी है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या महाराष्ट्र-दिल्ली सहित देश के तमाम राज्यों में फंसे हुए लाखों लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए ट्रेन चलाई जाएगी.

बता दें कि केंद्र सरकार के सड़क मार्ग यानी बसों के जरिए मजदूरों को भेजने सहित तमाम गाइडलाइन जारी की है. जिसके बाद देश के करीब सात राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार से स्पेशल ट्रेन चलाने की मांग की है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित पंजाब, तेलंगाना, केरल, कर्नाटक, बिहार, झारखंड और तमिलनाडु सरकार ने प्रवासियों की घर वापसी के लिए विशेष ट्रेनें चलाने की मांग की है.

झारखंड और तेलंगाना सरकार की ट्रेन चलाने की मांग रंग लाई. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 9 लाख मजदूरों की वापसी के लिए स्पेशल ट्रेन चलाने की मांग को लेकर रेलमंत्री पीयूष गोयल से बात की थी. सीएम ने रेलमंत्री से कहा कि राज्यों को विशेष ट्रेनों की जरूरत होगी ताकि दूसरे राज्यों में फंसे छात्रों, प्रवासी मजदूरों को वापस लाया जा सके. तेलंगाना के मंत्री टी श्रीनिवास यादव ने भी कहा था कि बसों के जरिए मजदूरों को उनके घर तक भेजना मुश्किल है, इसके लिए ट्रेन चलाई जाए

माना जा रहा है कि इसी मद्देनजर रेल मंत्रालय ने शुक्रवार सुबह 5 बजे तेलंगाना के लिंगमपेल्ली से ट्रेन चलाई, जो आज रात 11 बजे झारखंड के हतिया पहुंचेगी. इस ट्रेन में कुल 24 कोच हैं, ऐसे में उम्मीद लगाई जा रही है कि बड़ी संख्या में मजदूर वापस पहुंचेंगे. रेल मंत्रालय का कहना है कि राज्य सरकार की अपील पर स्पेशल ट्रेल चलाई गई है, जिसमें सभी तरह के नियमों का पालन किया गया है. इस स्पेशल ट्रेन के चलने के बाद प्रवासी मजदूरों में उम्मीद की नई किरण जगी है.

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा है कि उनके राज्य में 20 हजार से अधिक कैंपों में 3.60 लाख से अधिक मजदूर हैं. इनमें से काफी लोग दक्षिण भारत से उत्तर भारत जाना चाहते हैं. लिहाजा बस से जाना काफी थकाने वाला विकल्प है और इससे वायरस के फैलने का भी खतरा अधिक है. इसके लिए ट्रेन चलाई जाए. ऐसे ही राजस्थान की गहलोत सरकार ने देश के अलग अलग राज्यों से मजदूरों को वापस लाना चाहती है. ये मजदूर तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, असम और नॉर्थ ईस्ट जैसे इलाकों में हैं, जो वापस राजस्थान आना चाहते हैं.

बिहार में 28 लाख मजदूरों ने घर वापसी के लिए आवेदन दिया है. ये महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के राज्यों से फंसे हैं, जिन्होंने पंजीकृत कराया है. हालांकि, एक आकलन मुताबिक छात्रों और मजदूर सहित अन्य लोगों को मिलकर कुल 35 से 40 लाख लोगों को बिहार वापस लाना होगा. यही वजह है कि बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह अलग-अलग राज्यों में फंसे मजदूरों को वापस लाने के लिए स्पेशल ट्रेन का इंतजाम कराए, क्योंकि वे बस से लाने में असमर्थ हैं.

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